Varanasi (Live Lokvani)
साइकिल पर सवार, लहराते हुए झंडे को साइकिल को लगाकर नीली जैकेट और सर पर टोपी धारण किए आपको लग रहा होगा कि हम बार कर रहें है किसी वीर पुरूष या महान व्यक्ति की मगर ऐसा नहीं है आज हम जिसकी बात कर रहें है वो एक साधारण-सा व्यक्ति है मगर उनके कार्य किसी वीर या महान व्यक्ति से कम नही। महाराष्ट्र के भाऊ साहब जिन्होंने समाज में बरसों से चली आ रही कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई है।
भाऊ साहब भी एक आम आमदी जैसी साधारण सी जिन्दगी जीते थें मगर सन् 1983 में जब उनके खुद के घर में दहेज प्रथा जैसी वारदात हुई तब से उन्होंने इसके खिलाफ साथ ही साथ देश में महिलाओं व लड़कियों के साथ होते आए अत्याचार, कन्या भू्रण हत्या, बालात्कार जैसी घटनाओं के खिलाफ अपनी आवाज को आवाम तक पहुंचा कर उन्हें जागरूक करने के ठानी और तब से ना जाने कितने शहर, गांव का भ्रमण कर उन्होंने लोगों को स्कूल व कॉलेजों में जाकर बच्चों का जागरूक किया है। आज अब उनके भ्रमण का सिलसिला पीएम के संसदीय क्षेत्र में आ पहुंचा है।
वाराणसी पहुंचे भाऊ साहब साइकिल पर सवार नजर आए और उन्होंने अपने उसी साइकिल पा तमाम कागजातों को भी साथ रखा है जिसकी प्रकिया या जिसके खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई है। 2015 के बाद एक बार वाराणसी का भ्रमण कर चुकें भाऊ साहब एक बार फिर से काशी की जनता को कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, बलात्कार जैसी घटनाओं के प्रति जागरूक करने, लोगों को इसके प्रति पूरी जानकारी देने और ऐसी कूरीतियों के समापन की नीति से आए है।
मीडिया से बातचीत में अपने बारे, अपनी सोच और वह नीति जिसके लिए उन्होंने सभी को जागरूक करने की ठानी है उसके बारे में बताते हुए कहा कि मैं महाराष्ट्र का रहने वाला व्यक्त्ति हूं जो आज सड़कों पर फकीर जैसे धूम रहा है मगर इसके पीछे एक उद्देश्य है जो यह है कि मुझे देश को देश की जनता को समाज में होने वाली कुरीतियों के साथ साथ भू्रण हत्या व बलात्कार जैसी घटनाओं का शिकार ना हो इसके लिए जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि मैं राष्ट्रपति से भी व्यक्तिगत रूप से मिल चुका हूं और मैं अपने साथ सभी प्रकार के कागजात जितने भी जगह मैंने भ्रमण किया जितने भी कारवाई की सभी चीजों को लेकर यहां पर आया हूं। उन्होंने अपने भ्रमण के बारे में बताया कि अब तक मैंने कई शहरों के भ्रमण किये है और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है और आगे भी करता रहूंगा।