Varanasi ( Live Lokvani )
माघ मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का पुराणों में खास महत्व बताया गया है। आज संकष्टी चतुर्थी यानि की गणेश चतुर्थी का त्योहार है। इसके अलावा इस चतुर्थी को माघी कृष्ण चतुर्थी, तिलचौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन गणेश भगवान तथा सकट माता की पूजा का विधान है। संकष्ट का अर्थ है कष्ट या विपत्ति और इसी के अनुसार मान्यता है कि माघ मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन माताएं गणेश चौथ का व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु और कष्टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।
संकष्टी चतुर्थी पर पूरे दिन व्रत रखकर शाम के वक्त चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। ऐसे में महादेव की नगरी काशी में उनके पुत्र प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश के दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है। मैदागिन के लोहटिया क्षेत्र में स्थित बाबा गणेश का विश्व प्रसिद्ध मंदिर जो कि बड़ा गणेश के नाम से जाना जाता है। वहां गणपति भगवान के दर्शन और अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना हेतु अलहे सुबह से ही भक्त लाइन में लगे हुए है।
मैदागिन चौराहे पर मानो मेले जैसा माहौल है सड़कों पर ही फूल मालाओं की बिक्रि के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा और पूजा के अन्य सामग्रियों के दुकान लगाये गये हैं इसके अलावा बच्चों को आकर्षित करने हेतु वहां कुछ खिलौने के भी दुकान नजर आ रहें है। प्रशासन भी इसको लेकर व्यवस्थाएं की है। चौराहे का रास्ता बंद कर दर्शनार्थियों की हर सुविधा का ख्याल रखा गया है।
इसी मौके पर पं. दीपक दूबे ने बताया कि आज संकष्टी चतुर्थी है जो कि माघ मास के चौथ को पड़ती है। आज के दिन सुबह से भी महिलाएं जिन्हे पुत्र नही है वो पुत्र कामना और जिन्हे पुत्र है वो अपने पुत्र के साथ साथ पति की लम्बी आयु की कामना के साथ भगवान गणेश का दर्शन करने के लिए आ रहे है और इतना ही नही महिलाएं ऐसी कामना के साथ सुबह से ही व्रत रखकर रात में चंद्रोदय के साथ अपने व्रत का पालन करती है।