Varanasi (Live Lokvani)
शैव-वैष्णव परंपरा की एकाकार परंपरा की ही तरह मंगलवार को सगुण उपासना के केंद्र काशी में निर्गुण आराधना के रंग भी उतने ही चटख दिखे। कबीरदास के भावों को दिलों में संजोए काशीवासियों ने महान श्रमसाधक संत का 624वां प्राकट्य महोत्सव मनाया। क्या शहर और क्या गांव, इस ओर से उस छोर तक इस फक्कड़ साहित्यकार के कृतित्व-व्यक्तित्व के साथ ही उनकी निर्गुण बानी गूंजती रही। प्राकट्य स्थली लहरतारा में दिवस की उत्सवी रंग बिखरी रही। भक्तों ने इस पावन धरा की माटी सिर माथे लगाया और यहां महोत्सव का रंग निखर आया। इसके लिए सुबह से रात तक देश विदेश से लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा। ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर कबीर जन्मस्थली से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। कबीर प्राकट्य धाम लहरतारा स्थित स्मारक विकास समिति के प्रांगण में कबीरपंथियों की भीड़ इक्कठी रही। रात आठ बजे से आनंद चौका आरती अर्धनाम किया गया। संत कबीर प्राकट्य स्थली के मुख्य द्वारा के दोनों ओर सजावटी सामान से लेकर खिलौने और महिलाओं के शृंगार के सामान की दुकानें सजी रही। महोत्सव में आए श्रद्धालुओं ने भजन, सत्संग सुना और कबीर के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
कर्मस्थली में विमर्श और राग रंग
संत कबीरदास की कर्मस्थली कबीरचौरा मठ मूलगादी में सुबह से ही इस कदर रेला उमड़ा की परिसर ही छोटा पड़ गया। भक्तों ने संत को पुष्प अर्पित किया और उनके आदर्शो को अंगीकार करने का संकल्प लिया। विद्वतजनों ने कबीर साहब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गोष्ठी की। कबीर एकेडमी की ओर से भव्य आयोजन कराया गया था। जयंती पर सुबह सात बजे बीजक पाठ हुआ। मठ के महंत ने बताया कि दोपहर तीन बजे साहित्य सत्र में कबीर की आधुनिक युग मेें प्रासंगिकता विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह भी शामिल हुए। शाम सात बजे से सांस्कृतिक सत्र जश्न-ए-कबीर में ताना-बाना ग्रुप ने कबीर के दोहे व वाणी का सस्वर गायन किया। संगीत समारोह में कबीर के पदों पर प्रशस्ति तिवारी ने कथक के भाव सजाए। चंदूलाल, नलिनी कोमकलनी की प्रस्तुति हुई। दूसरे दिन शाम पांच बजे से आचार्य विवेकदास के सानिध्य में व्याख्यान व गीत संगीत होगा।
स्वर्वेद महामंदिर में विश्व शांति के लिए वैदिक महायज्ञ
स्वर्वेद महामंदिर धाम उमरहा के पवित्र परिसर में चल रहे सद्गुरु कबीर प्राकट्य महोत्सव में उपस्थित हजारों भक्त शिष्यों को साहब कबीर के सत्य सिद्धान्तों को उजागर करते हुए संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने कहा कि हमारे भीतर अनंत आनंद है, अनंत ज्ञान की शक्ति छिपी हुई है, जो दिख नही रहा। कुछ है जो हमने ऊपर से ओढा हुआ है, जो उसे प्रकट नहीं होने देता। उसी अज्ञान अन्धकार को, मिथ्याज्ञान को अनावृत करने की जरूरत है। भीतर की अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है। समापन पर सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव महाराज ने अनुयायियों को बताया कि सद्गुरु कबीर साहेब को मात्र समाज सुधारक समझना यह अज्ञानता है, यह निम्न चिंतन है। साहब की वाणियों से तो समाज सुधरता ही है , समाज सुधरेगा ही, लेकिन उसको यथार्थ रूप से, सत्य रूप से प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता है। उन वाणियों के व्यापक प्रचार की आवश्यकता है। इससे पूर्व प्रातः 5:30 बजे से आश्रम के कुशल योगप्रशिक्षकों द्वारा शारीरिक आरोग्यता के लिए निःशुल्क आसन-प्राणायाम एवं ध्यान प्रशिक्षण आगत योग साधकों को दिया गया। दिन में 10 बजे से विश्व शांति वैदिक महायज्ञ का शुभारम्भ स्वतंत्र देव महाराज एवं संत विज्ञानदेव महाराज के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में प्रतिदिन वृहत भंडारे का भी आयोजन किया गया है जो अनवरत चलता रहेगा।
कई राज्यों से पहुंचे भक्त
प्रकाट्य महोत्सव में उत्तर प्रदेश साथ साथ बिहार, झारखंड, दिल्ली, मुम्बई, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, कलकत्ता, तमिलनाडु, पंजाब, हरयाणा, राजस्थान अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर सहित देश के विभिन्न प्रान्तों से भक्त शिष्य पहुंच कर , महाराज श्री का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने भौतिक एवं आध्यात्मिक जीवन का मार्ग प्रसस्त किये।