varanasi ( Live Lokvani )
धर्म, आध्यात्म और संस्कृति की राजधानी के अलावा काशी संगीत घराना भी मानी जाती है। और बनारस के संगीत घराने की सबसे बड़ी विरासत माने जाते हैं तबला सम्राट पं. किशन महाराज। आज भले ही वो हमारे बीच नहीं है मगर उनके तबले की गुंज और ध्वनि आज भी संगीत की दुनिया में अपना छाप छोड़े रखी है।ऐसे महान तबला मार्तंड पं. किशन महाराज जिन्होंने तबले की थाप से पुरी दुनिया को नए रूप में प्रस्तुत किया वाराणसी में उनकी 14वीं पुण्यतिथि मनायी गयी। तबला सम्राट के 14वीं पुण्यतिथि पर मैदागिन स्थित पड़ारकर स्मृति भवन में आयोजित सभा में सरोद के सुर से सांगीतिक श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। आयोजित कार्यक्रम में पटना से पधारी रीता दास ने पं. किशन महाराज को अपूर्व सरोद वादन समर्पित किया।
श्रद्धाजंलि सभा में सरोद वादन के बाद मसीतखानी गत के वादन ने श्रोताओं का मनमोह लिया। कार्यक्रम का शुभांरभ मंगलाचरण से किया गया। पं. पकंज मिश्र के निर्देशन में जागृति पांडेय, नेहा सिंह, आकृति गुप्ता और नेहा दास ने गायन किया।
इस दौरान संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने दीप प्रज्जवलन किया और सभा में आए अतिथिगणों का स्वागत-सत्कार पं. किशन महाराज के पुत्र पं. पूरन महाराज ने किया। वहीं कार्यक्रम का संचालन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।
1923 में वाराणसी के कबीर चौरा मोहल्ले में जन्में पं. किशन महाराज के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में रीता दास ने दु्रत लय में झाला वादन प्रस्तुत कर संगीत के धुन में सभी को लुप्त कर दिया और राग मिश्र मांड में दादरा से वादन को ठहराव दिया। उनका साथ तबला पर युवा कलाकार देव नारायण ने दिया जिन्होंने अपने प्रस्तुति से भी को प्रभावित कर दिया।
कार्यक्रम के क्रम में जालंधर के ख्यात तबला वादन हरनाम सिंह नामधारी का एकल वादन, पूणे से आए मनोज सोलंकी का एकल पखावज वादन और काशी के अनूप मिश्र का ख्यान गायन ने मौजूदा श्रोताओं का मन जीत लिया।