Varanasi (Live Lokvani)
जगत के पालनहार भगवान जगन्नाथ के रथ पर सवार होते ही शुक्रवार से बनारस में तीन दिवसीय रथयात्रा मेला शुरू हो गया। काशी का रथयात्रा इलाका गुरुवार को लघु जगन्नाथ पुरी के रूप में परिवर्तित हो गया। अष्टकोणीय रथ पर सवार पीताम्बर वेष में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भइया बलभद्र ने भक्तों को अपने दर्शन दिए। कोई भगवान को तुलसी की माला और नानखटाई का भोग लगा रहा था तो कोई परवल की मिठाई, केसरिया पेड़ा, राजभोग और आम अर्पित कर रहा था।
विभिन्न प्रकार के फूलों से सजा मंदिर की आकृति वाला दो टन वजनी लकड़ी का रथ दूर से ही भक्तों को आकर्षित कर रहा था। तीन दिवसीय रथयात्रा मेले के प्रथम दिन भोर में देव विग्रहों को 14 पहियों वाली सुसज्जित रथ पर विराजमान कराकर पीतांबर धारण कराया गया।
स्वर्ण मुकुट व आभूषणों से श्रृंगार और बेला, गुलाब, चंपा, चमेली, तुलसी की मालाओं से मनोरम झांकी सजाई गई। सुबह चार बजे शालिग्राम पूजन, 4. 30 बजे पुरी पुराधिपति की अर्चना और 5.11 बजे मंगला आरती हुई। परंपरा के अनुसार भक्तों ने भगवान का रथ दस कदम खींचा और उत्सव का आरंभ हुआ।
पट खुलने से पहले ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। भोर में दर्शन करने आए भक्तों में हाथों में तुलसीदल के साथ ही विविध प्रकार के सुगंधित पुष्पों की माला भी थी। भक्तों ने भगवान जगन्नाथ को तुलसीदल की माला, सुगंधित बेला के पुष्पों की लड़ी, फल और श्रद्धाभाव अर्पित कर आशीष लिया।
प्रात: प्रभु को छौंका मूंग चना, पेड़ा, गुड़ व देशी चीनी का शरबत नैवेद्य के रूप में चढ़ाया गया। मध्याह्न में भोग व आरती पश्चात पट बंद कर दिया जाएगा। तत्पश्चात मंदिर के भंडारे में निर्मित पूड़ी, कोहड़े की सब्जी, दही, देशी चीनी एवं कटहल-आम के अचार का भोग लगाया जाएगा। अपराह्न तीन बजे आरती के साथ भगवान का दर्शन आरंभ होगा।
देखते ही बनी भक्तों की आतुरता
प्रभु की एक झलक पाने के लिए भक्तों की आतुरता देखते ही बनती थी। मध्याह्न में भोग आरती तक दर्शन का क्रम निरंतर जारी रहेगा। जिस रथ पर भगवान विराजे हैं उसका पहिया हिलाकर अपनी मनोकामनाएं प्रभु के समक्ष रख रहे है। रथ पर सवार पुजारी गण भक्तों को प्रसाद का वितरण कर रहे है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
थोड़ी दूरी पर चकरी वाले बच्चों को झूलाने में व्यस्त रहे। मिट्टी के खिलौनों से लेकर घर में रोजाना की जरूरत की चीजों की दुकानें भी सजी है। मेले में भीड़ के दबाव को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी निरंतर मेला क्षेत्र में भ्रमण करते रहे। इस दौरान नागरिक सुरक्षा, शांति समिति और समाज संगठन के स्वयंसेवकों ने भी सहयोग कर रहे। गुरुबाग से महमूरगंज के बीच का इलाका मेला क्षेत्र में तब्दील हो गया है। जगह-जगह बच्चों के झूले, खिलौनों और चाट पकौड़ों की दुकानें सजी हैं। हर बार की तरह इस बार भी सर्वाधिक दुकानें नानखटाई की हैं जो इस मेले की खास पहचान हैं।