Varanasi (Live Lokvani)
निर्जला एकादशी पर गंगास्नान के लिए बाहर से आये श्रद्धालु दशाश्वमेध रोड पर अद्भुत नजारा देख कुछ देर रुकने को बाध्य हो गये। सड़क की क्रमश: होती धुलाई के साथ भक्तिभाव में काफिलेनुमा एक बड़े समूह की अगुवाई करते विशालकाय नंदी। उनके पीछे रथों पर कमण्डल में जल लिये विराजमान श्रीगणेश, परमपूज्य परमाचार्य की छवि, बर्फानी बाबा। चांदी व मिट्टी के कलश में गंगा व कई नदियों का जल तथा गोदुग्ध लिये नर-नारी। भक्ति संगीत व ड़ारुओं की गड़गड़ाहट के साथ चल रहे दंडी स्वामी, बटुक, पंचप्यारे व संस्था-संगठनों से सैकड़ों लोग।
यह था सुप्रभातम् एवं श्री काशी विश्वनाथ वार्षिक कलश यात्रा की ओर से आयोजित कलश यात्रा का माहौल।आस्थावानों ने सुबह ही दशाश्वमेध घाट पहुंचकर बाबा विश्वनाथ का अभिषेक करने के लिए गंगा जल भरकर झूमते हुए निकले। इस दौरान भगवान शिव के स्वरूपों को धारण कर उनके गणों के साथ टोली निकली तो काशी बम बम नजर आई।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर 1008 कलश पूजन कर सुबह 7.45 बजे यात्रा आरंभ हुई। शिव परिवार के साथ ही कलश यात्रा दशाश्वमेध घाट से शुरू हुई तो आस्था का रंग दिन चढ़ने के साथ ही चटख नजर आने लगा। भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच यात्रा शुरू हुई। भगवान शिव के स्वरूप का स्वांग धरे कलाकार ने अपने हाथों में डमरू लेकर डम डम डम की ध्वनि को साधा तो हर हर महादेव का उद्घोष गूंज उठा।
भगवान शिव और उनके गणों के स्वरूप के साथ डमरू दल के प्रदर्शन से काशी बम बम नजर आई। पारंपरिक परिधानों में आस्थावानों का हुजूम कलश और डमरू के डम डम की धुनों पर आगे बढ़ा तो लगा मानो जन सैलाब बाबा धाम की ओर उमड़ पड़ा हो। जैसे जैसे कलश यात्रा के कदम बाबा दरबार की ओर बढ़े वैसे वैसे ही आस्थावानों का उत्साह भी चरम पर नजर आया। सैकड़ों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ा तो भगवान शिव के साथ हर हर महादेव का उद्घोष भी रास्ते भर नजर आता रहा।
सिर पर पीत रंग का कलश लेकर चल रही महिलाओं की टोली का उत्साह अलग ही नजर आया। कलश यात्रा गोदौलिया, बांसफाटक, ज्ञानवापी होकर बाबा के दरबार में पहुंची। वहां भक्तों ने जलाभिषेक किया। बाबा दरबार में सुबह से ही दर्शनार्थियों का हुजूम दरबार से लेकर सड़क तक नजर आया और आस्था से बाबा दरबार परिक्षेत्र सराबोर दिखा।
कलश यात्रा के आयोजन में श्री काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के अध्यक्ष पवन चौधरी, संरक्षक निधिदेव अग्रवाल, सुप्रभातम् के संरक्षक उमाशंकर अग्रवाल, केशव जालान, मुकुंद लाल टंडन, गोपाल गोयल और सुब्रमण्यम् जी. की महत्वपूर्ण भूमिका रही।