व्यंगकारजगन्नाथ के चरण पड़े…..
विश्वनाथ की धन्य धरा पर,
जगन्नाथ के चरण पड़े,
देव तुल्य है अतिथि हमारे,
संग कोविता के साथ चले,
त्रिदिवसीय आतिथ्य आपका,
स्वागत में काशी है बिछी,
पीएम के संसदीय क्षेत्र में,
मॉरीशस के ध्वज सजें,
स्वागत के अद्भुत आलोक में,
समान संस्कृति की गाथा है,
माँ सरोजनी संग प्रविंद का,
हृदय आह्लादित हो गया…
सरपट दौड़े आप काशी में,
बांस बल्ली से घेर दिया,
चिलचिलाती धुप में,
जनता काशी की खड़ी रही,
भूखे प्यासे सुरक्षा कर्मी,
जाने का इंतेज़ार करें,
फंसे जाम में नंन्हे-मुन्ने,
अंकल को आहें भरे,
विश्वनाथ की धन्य धरा पर,
जगन्नाथ के चरण पड़े…..
– व्यंगकार