विकराल गर्मी सता रहा है –
विकराल गर्मी सता रहा है,
तपन का पारा बता रहा है,
जिंदगी होगी और बेहाल,
मौसम का लक्षण जता रहा है,
विकराल गर्मी सता रहा है….
खेत खलियानों के साथ,
आशियानों की लपटें,
मानवता को रुला रहा है,
विकराल गर्मी सता रहा है….
आलिशान कंक्रीट के महलों ने,
वृक्षों की कटाई कर दी,
हरियाली का अंत करके,
प्रकृति से बेवफ़ाई कर ली,
कोविड काल में लोग,
आक्सीजन के लिए तरस रहे थे….
कर पेड़ो की तलाश,
छाँव में सांसे भर रहे थे,
करोड़ो का बसेरा बनाते है,
एक पेड़ ना लगाते है?
पारा चढ़ता है तो,
गर्मी गर्मी चिल्लाते है,
एक पेड़ ना लगाते है?
करोड़ो का महल बनाते है।।
– व्यंगकार