Varanasi (Livelokvani)
क्षय उन्मूलन की दिशा में धर्मगुरूओं ने भी कदम बढाया है। शुक्रवार को जिला क्षय रोग कार्यालय में हुई बैठक में धर्मगुरूओं ने टीबी रोग के सफाये में जुटे अधिकारियों कोभरोसा दिलाया कि वह भी अब इस मुहिम का हिस्सा बनकर इस रोग के खिलाफ चल रही लड़ाई में सहभागी बनेंगे।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत धर्मगुरूओं की मदद लेने के उद्देश्य से शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय परिसर स्थित जिला क्षय रोग कार्यालय परिसर में यह बैठक हुई। बैठक में आमंत्रित कई धर्मगुरू शामिल हुए। इस मौके पर जिला क्षय रोग अधिकारी व वरिष्ठ चिकित्सक डा. राहुल सिंह ने कहा कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है । इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। फेफड़ों की टीबी हवा के जरिए एक से दूसरे को प्रभावित कर सकती है।
टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। समय से उपचार न कराने पर यह जानलेवा भी हो सकती है। इसके बावजूद इसके उपचार में अधिकतर क्षय रोगी लापरवाही बरतते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि क्षय रोगी कुछ दिनों तक उपचार कराने के बाद दवा बीच में ही छोड़ देते हैं।
जब रोग बढ़ता है तब वह पुनः उपचार शुरु करते हैं लेकिन तब तक रोगी की स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है। ऐसे क्षय रोगी इस दौरान अन्य लोगों को भी संक्रमित करते हैं । उन्होंने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में क्षय रोग की दवा मुफ्त दी जाती है। इतना ही नहीं क्षय रोगियों की सभी जांच भी निःशुल्क की जाती है।
कोई भी क्षय रोगी सरकार की ओर से दी जा रही इस सुविधा का लाभ उठा कर अपने आप को स्वस्थ बना सकता है। इसके अलावा इलाज के दौरान मरीज को निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये भी सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं | डा. राहुल सिंह ने धर्मगुरूओं से अपील की कि टीबी उन्मूलन की इस मुहिम में वह भी सहयोग करें। बैठक में धर्मगुरूओं ने इस मामले में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया।
टीबी के लक्षण
टीबी का शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले सूखी खांसी आती है और बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। टीबी के मरीज को अधिक ठंड होने के बावजूद भी पसीना आता है। जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। टीबी के मरीज की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और वजन घटने लगता है। लगातार दो हफ्ते तक बुखार हो, खांसी आ रही हो और वजन घट रहा हो तो टीबी की जांच जरूर कराएं।
बचाव के तरीके
लगातार दो हफ्ते तक बुखार हो, खांसी आ रही हो और वजन घट रहा हो तो टीबी की जांच जरूर कराएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर की सलाह के बगैर दवा बंद न करें। मास्क पहनें। टीबी मरीज यहां-वहां नहीं थूकें। मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें। पौष्टिक खाना खायें, व्यायाम व योग करें। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू तथा शराब आदि से परहेज करें। भीड़-भाड़ वाली और दूषित जगहों पर जाने से बचें।