Varanasi (Live Lokvani)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से कथित तौर पर जारी फर्जी डिग्री के मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर 17 कर्मियों पर मुकदमा दर्ज हो चुका है। प्राच्य विद्या के इस संस्थान पर पहले भी फर्जीवाड़ा, फर्जी नियुक्ति, डिग्री बेचने जैसे आरोप लग चुके हैं। मध्य प्रदेश के व्यापमं जैसे घोटाले में भी विश्वविद्यालय का नाम आया था और सीबीआई ने जांच की थी। इस संबंध में सीबीसीआईडी और एसआईटी की कई जांचें हुईं मगर एसआईटी के मुकदमे को अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
एसआईटी की जांच के ताजा मामले की रिपोर्ट 18 नवंबर 2020 को फाइल कर दी गई थी। 65 जिलों में छह हजार से ज्यादा डिग्रियों की जांच के बाद दाखिल रिपोर्ट में 1086 डिग्रियां फर्जी मिली थीं। 99 पेज की रिपोर्ट में फर्जी डिग्री वाले 10 आरोपियों के विश्वविद्यालय में कार्यरत होने की सूचना दी गई थी जबकि प्रकरण में वर्ष 2004 से 2014 के बीच सेवारत कार्यवाहक रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक व प्रमुख पदों पर तैनात अधिकारियों को भी दोषी माना था। दोषी मिले तत्कालीन अधिकारी मौजूदा समय में कुलपति सहित कई पदों पर हैं। कई अन्य इसी विश्वविद्यालय में ही महत्वपूर्ण पदों पर हैं।
अक्टूबर-2021 में ऐसे ही फर्जी डिग्री पर नियुक्ति के मामले की जांच के लिए सीबीसीआईडी वाराणसी की टीम ने विश्वविद्यालय में तीन दिन जांच की थी और 22 कर्मचारियों के बयान लिए थे। एसपी सीबीसीआईडी कृष्णगोपाल यादव ने बताया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट फाइल करने की तैयारी है। फर्जी डिग्री के अलग-अलग मामलों में कानपुर, मेरठ और भोपाल से सीबीसीआईडी और विजिलेंस की टीमें भी विश्वविद्यालय में जांच के लिए आ चुकी हैं। हालांकि इन मामलों में अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है।