Varanasi (Live Lokvani)
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि इस विश्वविद्यालय और इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र(आईजीएनसीए) नई दिल्ली के बीच पाण्डुलिपि संरक्षण के लिये दो वर्षों का करार(एमओयू) हुआ है। जिसे आगे भी बढ़ाया जायेगा। वीसी ने मंगलवार को बताया कि संस्कृत विश्वविद्यालय और नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के बीच पाण्डुलिपि संरक्षण हेतु “पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र” दो वर्षों तक के लिये समझौता हुआ उक्त समझौते (एमओयू)के अन्तर्गत त्रैमासिक 4 लाख रूपये, प्रत्येक वर्ष के लिये 12-12 लाख रुपये अर्थात दो वर्षों मे कुल 24 लाख रुपये विश्वविद्यालय को प्राप्त होंगे।
यह करार आगे भी बढ़ाया जायेगा। बताया कि उक्त समझौते से विश्वविद्यालय के इतिहास में विकास की धारा का आज एक अध्याय और जुड़ गया। यहां के सरस्वती भवन पुस्तकालय मे दुर्लभ लगभग 95 हजार पाण्डुलिपियाँ उपलब्ध हैं जिनके संरक्षण के लिये उक्त समझौते से तत्कालिक लाभ प्राप्त होगा।।जीर्ण-शीर्ण पाण्डुलिपियों के संरक्षण के इस कार्य से उसमे निहित विरासत को पुन: प्राप्त करने तथा ज्ञान तत्व के प्रसार होगा।
कुलपति ने बताया कि दो वर्षों तक चलने वाले इस पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र में प्रो राम किशोर त्रिपाठी को मुख्य/प्रमुख संरक्षक तथा दो संरक्षक भी नियुक्त होंगे।जिसमें प्रमुख संरक्षक को 25 हजार रुपये प्रतिमाह तथा संरक्षक को 20 हजार रुपये प्रतिमाह दिये जायेंगे।इस केन्द्र के समय मे और वृद्धि हो सकती है।
पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र के समझौते पत्र पर विश्वविद्यालय की तरफ से कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी, प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, कुलसचिव केशलाल, प्रो राजनाथ, प्रो शंभूशुक्ल, सहायककुलसचिव विजय कुमार चटर्जी तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र,नई दिल्ली के राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के निदेशक डॉ प्रतापानंद झाँ, प्रकाशनाधिकारी डॉ संघमित्रा बसु, समन्वयक कीर्ति श्रीवास्तव के संयुक्त हस्ताक्षर किया गया। उक्त संरक्षण कार्य के प्रगति आख्या प्रत्येक मास प्रमुख संरक्षक द्वारा राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के निदेशक को देते रहना होगा।